
ये पीली shirt पे लगे, चाई का दाग़
ने मुझे, वो याद दिला दिया।
कई बार सोचा था,
कि एक बार मिला लूँ;
नम्बर याद तो था ही मुझे,
पर डर ने उँगलियों को जकड़ा था,
और सवालों ने मन को उलझाया।
कई बार तो ऐसा भी हुआ
की phone हाथो में लेकर,
उसमें कुछ लिखती
फिर मिटाती, फिर कुछ लिखती
फिर भेजने की हिम्मत ना जुटा पाती।
ये लिख कर मिटाने की जैसे,
आदत सी लग गयी थी मुझे।
‘तुम क्या सोचोगे’ ये डर,
मेरी network भी समझ रही थी जैसे।
सुबह को चाई की चुस्की में गूढ़, इलाइची और
तुम्हारे ख़यालों को भी घोल देती थी में;
अधरक की अक्सर ज़रूरत भी नहीं पढ़ती थी।
सुबह की अख़बार जब पापा पढ़ते,
तो पीछे से सारे शब्द धुँधले से दिखते मुझे।
माँ जब रसोई से आवाज़ देती थी—”बेटा!”
तो ये कान, अपने ही कोई धुन को घूरती रहती।
फिर जब cab आती, तो कुछ हमेशा पीछे छूट जाता;
लेकिन, तुम्हारे किताब को कस के पकड़,
हर दिन की शुरुआत करती थी मैं।
Office में काम तो वैसे भी कोई नहीं करता,
तो मैं फिर वो किताब खोल लेती।
Boss आता तो computer की ओर नज़रें फेर लेती।
Boss जाता तो तुम्हारे अदृश्य पन्नो पे;
जो AC के हवा से आगे पीछे हो गयी थी।
तो कहाँ छोड़ा था, वहीं से फिर शुरू हो जाती।
इतने में दूसरी चाई के cup में,
तुम्हारे ख़याल ताज़ा हो जाते।
ऐसे पड़ते है शायद, किताबी कीड़े।
उनको कहानी से इतनी आस हो जाती है,
की कुछ भी समय मिलते ही
उसमें गुम हो जाने को मन करता है।
फिर एक दिन मेरी दोस्त रोशनी ने,
मुझे कुछ पढ़ते वक़्त शर्माते हुए देखा,
और मुझे कंधे से पकड़ हिलाया।
तो मानो किताब थी ही नहीं जैसे;
चित्र पर पानी फेर दिया हो वैसे।
TV देखते वक़्त, कोई आकर बंद कर दिया हो जैसे।
जलती मचिस को पानी में ढाल दिया हो वैसे।
मेरी ख़यालों की क़दर—
जैसे नोट बन्दी में पुराने नोटो की।
कुछ चाई, मेरी office के shirt पे,
ये दाग़ भी छोड़ गए उस दिन।
रोशनी ने मेरे ख़्यालों को चाय में
buiscut के जैसे डूबा कर, मुझे कहा–
‘सभ ख़यालों में ही हो जाता तो कितना आसान होता
मेरी मानो चलो अभी बात करो’।
उसने हाथ से phone झपटकर
तुम्हारा number मिला दिया।
मैं उससे वापस छीन पाती,
उस से पहले वो call ring हो रहा था।
मुझे कुछ सोचने का समय भी नहीं मिला;
बंदरो के जैसे कूद रहे थे हम।
मेरी हालत कोई पहली बार,
Airplane में बैठने वाले, के जैसे:
साँस अटकी हुई और
दिल तो सीने के बाहर ही धड़क रहाथी
मुझे ambulance की याद आ ही रही थी
की इतने में phone पे, तुम्हारी आवाज़ आयी—“Hello!”